Monday, June 25, 2007

दौर ये चलता रहे

उड़ जा , उड़ जा प्यासे भँवरे,रस ना मिलेगा धारो में,
कागज़ के फूल जहाँ खिलते हैं, बैठ ना उन गुलाज़ारो पे,
नादाँ तमन्ना रेती में, उम्मीद कि कश्ती खेती है,
एक हाथ से देती है दुनिया, सौ हाथो से लेती है,

ये खेल है कबसे जारी, बिछुड़े सभी, बिछुड़े सभी बारी बारी...
अरे देखी ज़माने की यारी, बिछुड़े सभी, बिछुड़े सभी बारी बारी...
क्या लेके मिले अब दुनिया से, आंसू के सिवा कुछ पास नहीं
यहाँ फूल ही फूल थे दामन में, या कांटो की भी आस नही
मतलब की दुनिया है सारी
बिछुड़े सभी, बिछुड़े सभी बारी बारी

वक़्त है मेहरबान, आरजू है जवान
फिक्र कल कि करें, इतनी फुर्सत कहॉ

दौर ये चलता रहे, रंग उछलता रहे
रुप मचलता रहे, जाम बदलता रहे

दौर ये चलता रहे, रंग उछलता रहे
रुप मचलता रहे, जाम बदलता रहे

दौर ये चलता रहे, रंग उछलता रहे
रुप मचलता रहे, जाम बदलता रहे

रात भर मेहमान है बहारें यहाँ
रात ग़र जो ढल गयी, फिर ये खुशियाँ कहॉ
पल भर कि खुशियाँ है सारी
पल भर कि खुशियाँ है सारी...

बिछुड़े सभी, बिछुड़े सभी बारी बारी.....

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